आजकल सोलर पैनल बिजली बनाने का एक महत्वपूर्ण साधन बनते जा रहे हैं। बिजली के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है, चाहे घर हो, ऑफिस, दुकान या फैक्ट्री, हर जगह सुबह से शाम तक बिजली की जरूरत होती है। बढ़ती बिजली की मांग और कीमतें अक्सर हमें परेशान करती हैं। ऐसे में सोलर पैनल एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है, जिससे न सिर्फ बिजली की जरूरतें पूरी होती हैं, बल्कि महंगे बिलों से भी छुटकारा मिलता है।
जब हम घर पर सोलर पैनल लगाने के बारे में सोचते हैं, तो हमारे मन में कई सवाल आते हैं, जैसे:
- सोलर पैनल क्या है?
- सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं?
- सोलर पैनल कैसे काम करता है?
- घर के लिए सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा है?
- किस कंपनी का सोलर पैनल लगवाना सही रहेगा?
इस आर्टिकल का उद्देश्य सोलर पैनल और सोलर सिस्टम के बारे में जानकारी देकर लोगों को जागरूक करना है। अक्सर लोग सोलर पैनल को ही सोलर पॉवर सिस्टम समझ लेते हैं, जबकि वास्तव में यह एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक संपूर्ण सोलर सिस्टम में सोलर पैनल के अलावा सोलर इनवर्टर, बैटरी आदि भी शामिल होते हैं।
आइए अब हम एक-एक कर इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं, ताकि आप सोलर पैनल के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकें और कोई भी कंपनी आपको भ्रमित न कर सके। अगर इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद भी आपके मन में कोई सवाल बाकी रह जाए, तो आप कमेंट के जरिए हमसे पूछ सकते हैं। हम आपके सवालों का जवाब देने की हर संभव कोशिश करेंगे।
सोलर पैनल क्या है (Solar Panel Kya Hota Hai)
सोलर पैनल एक ऐसा उपकरण होता है जो सूरज की रौशनी से बिजली बनता है। सोलर पैनल कई छोटे-छोटे फोटोवॉल्टिक सोलर सेल का बना होता है। फोटोवॉल्टिक सेल को सोलर सेल भी कहते हैं। एक सोलर पैनल में आमतौर पर 60 से 72 सोलर सेल होते हैं। जब इन सोलर सेल पर सूरज की रोशनी पड़ती है, तो उनमें मौजूद सिलिकॉन जैसे सेमीकंडक्टर सामग्री इलेक्ट्रॉनों को गतिशील बनाती हैं।इलेक्ट्रॉनों की इस गति से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है,जिससे बिजली का प्रवाह उत्पन्न होता है।
फोटोवोल्टिक (PV) सेल क्या होते हैं (Photovoltaic Cell In Hindi)
फोटोवोल्टिक (PV) सेल, जिन्हें सोलर सेल के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रकार की सेमीकंडक्टर डिवाइस है जो सूर्य की रोशनी को बिजली में परिवर्तित करने का काम करती है। “फोटोवोल्टिक” शब्द “फोटोन” (प्रकाश कण) और “वोल्ट” (विद्युत माप) से मिलकर बना है, जो इस प्रक्रिया के आधार को दर्शाता है।
जब सूर्य की किरणें, यानी फोटोन, इस सेल पर गिरती हैं, तो फोटोवोल्टिक प्रभाव के कारण इसके भीतर मौजूद इलेक्ट्रॉन सक्रिय हो जाते हैं और गति करने लगते हैं। इस इलेक्ट्रॉनिक गति से विद्युत प्रवाह उत्पन्न होता है, जिससे बिजली बनती है।
फोटोवोल्टिक सेल मुख्य रूप से सिलिकॉन जैसी सेमीकंडक्टर सामग्री से निर्मित होते हैं, जो प्रकाश को अवशोषित करने में सक्षम होती है और इलेक्ट्रॉनों को स्वतंत्र करती है। इनका उपयोग छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लेकर बड़े सोलर पैनलों तक किया जाता है, ताकि सौर ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में बदला जा सके।
सोलर सेल क्या होता है (Solar Cell In Hindi)
सोलर सेल एक अर्धचालक डिवाइस होती है, जो सिलिकॉन की बनी. सोलर सेल की परत होती है. इन परतों को P और N टाइप कहते हैं. P और N का मतलब Positive और Negative होता है. जब ऊपरी परत पर सूरज की रोशनी बढ़ती है ऊष्मा के कारण गर्म हो जाती है, जिससे इस परत के इलेक्ट्रॉन गति करने लगते हैं और बिजली पैदा करते हैं.
फोटोवोल्टिक (PV) प्रभाव क्या होता हैं (Photovoltaic Effect In Hindi)
जैसा कि आप जानते हैं सोलर सेल की दो परत होती है, ऊपरी परत P और निचली परत N टाइप कहलाती है. ऊपरी परत P थोड़ा पतली होती है और इसमें इलेक्ट्रॉन की अधिकता होती है, निचली परत N थोड़ा मोटी होती है और इसमें इलेक्ट्रॉन की कमी होती है. ऊपरी परत पर सूरज की रोशनी बढ़ती है तो वह गर्म हो जाती है, जिससे इलेक्ट्रॉन ऊष्मा पाकर, अपनी ऑर्बिट से निकलकर उत्पन्न किए गए इलेक्ट्रॉनिक फील्ड में चले जाते हैं, जिससे बिजली बनती है. बिजली बनने की इस पूरी प्रक्रिया को प्रक्रिया को फोटोवोल्टिक प्रभाव कहते हैं.
सोलर सेल कैसे बनता है | सोलर पैनल किसका बना होता है
सोलर सेल को सिलिकॉन से बनाया जाता है. सिलिकॉन रेत का मुख्य घटक होता है. सोलर सेल बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सिलिकॉन का यूज किया जाता है. रेत को उच्च गुणवत्ता वाले सिलिकॉन में बदलने के लिए इसे बहुत अधिक उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है. इस तरह से पिघला हुआ सिलिकॉन ठंडा करने पर एक पिंड के रूप में जम जाता है. सिलिकॉन पिंड को काटकर छोटे छोटे वेफर्स के रूप में काट लिए जाते हैं. सिलिकॉन के यह वेफर्स काफी चमकदार होते हैं. इन पर Anti-reflective Coating चढ़ाई जाती है. इन सिलिकॉन वेफर्स को आपस में जोड़कर सोलर सेल तैयार किया जाता है.
सोलर पैनल को बनाने के लिए सोलर सेल को आपस में एक साथ 48/60/72 के जोड़ों में जोड़ा जाता है. इन सोलर सेल पर मेटल के कंडक्टर जोड़े जाते हैं जिससे एक इलेक्ट्रिक गिरी का काम करता है. इसके बाद सोलर सेल के ऊपरी परत पर 6-7 mm की कांच की परत चढ़ाई जाती है और नीचे की तरफ पोलिमर की मज़बूत परत लगायी जाती है. इन सोलर सेल की ग्रुप को एक मजबूत फ्रेम में कसा जाता है. इस तरह से सोलर सेल को आपस में जोड़कर सोलर पैनल तैयार किया जाता है.
सोलर पॉवर सिस्टम क्या होता है (Solar Panel System In Hindi)
जैसा कि आप जानते हैं, सोलर सेल को बनाने के लिए सिलिकॉन का यूज किया जाता है, सिलिकॉन के छोटे-छोटे वेफर्स को आपस में जोड़ कर सिलिकॉन सेल बनाया जाता है. अब इन सिलीकान सिल्क आपस में जोड़कर सोलर पैनल तैयार किया जाता है.सोलर पैनल को बैटरी, इनवर्टर, चार्जर कंट्रोलर, आदि से तार के द्वारा जोड़कर एक पूरा स्ट्रक्चर तैयार किया जाता है. इस पूरी स्ट्रक्चर को सोलर पावर सिस्टम या सोलर पैनल सिस्टम कहा जाता है.
सोलर पैनल बिजली कैसे बनता हैं | सोलर पैनल सिस्टम काम कैसे करता है ?
सोलर पैनल फोटोवॉल्टिक सिद्धांत पर काम करता है. सूरज की किरणें जिसे की वैज्ञानिक भाषा में फोटॉन भी कहा जाता है. जब सूरज की किरणें सोलर पैनल की सोलर सेल पर पड़ती है तो वह उन्हें अवशोषित कर लेती हैं. ऊष्मा पाकर सोलर सेल के इलेक्ट्रॉन अपने ऑर्बिट से निकलकर गति करने लगते हैं. इलेक्ट्रॉनों की गति को धारा यानी कि बिजली कहते हैं. इस तरह से सोलर पैनल बिजली बनाता हैं .
सोलर पैनल द्वारा बिजली बिजली चार्जर कंट्रोलर और बैटरी में चली जाती है. सोलर पैनल द्वारा बनी बिजली DC होती है और हमारे घरों में उपयोग होने वाले बिजली AC होती है. सोलर सिस्टम में जुड़ा इनवर्टर DC करंट को AC करंट में बदल देता है. इस तरह से इनवर्टर से होते हुए बिजली हमारे घरों में लगे उपकरण में पहुंच जाती है. इस तरह सोलर पैनल सूरज की रोशनी से बिजली बनाकर हमारे घरों में लगे उपकरणों को चाहता है.
सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं (Types of Solar Panel)
सोलर पैनल संरचना के आधार पर मुख्यतः 5 प्रकार के होते हैं.
- पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल ( Polycrystalline Solar Panel)
- मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल (Monocrystalline Solar Panel)
- थिन -फिल्म सोलर पैनल (Thin-Film Solar Panels)
- हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल (Half Cut Solar Panel)
- बाइफेशियल सोलर पैनल (Bifacial Solar Panel)
सेलों की संख्या के अधर पर सोलर पैनल 3 प्रकार के होते हैं.
- 36 सेल सोलर पैनल
- 60 सेल सोलर पैनल
- 72 सेल सोलर पैनल
सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं विस्तार से जानने के लिए सोलर पैनल के प्रकार पर क्लिक करें
सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा होता है ( Which Is The Best Solar Panel)
मोनोक्रिस्टलाइन अधिक धूप में बिजली बनाता है जबकि पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल कम धूप में भी अधिक बिजली बनाता है. आप जहां सोलर पैनल लगाना चाहते हैं यदि वहां पर धूप अधिक आती है तो आप मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल लगा सकते हैं. यदि धूप कम आती है तो आप पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल लगा सकते हैं. यदि आप सोलर पैनल को ऐसी जगह लगा सकते हैं जहां पर धूप सोलर पैनल पर दोनों ओर से पढ़े तो आपके लिए भाई फेशियल सोलर पैनल सबसे अच्छा होता है.
सोलर पावर सिस्टम कितने प्रकार के होते हैं (Types of Solar Power System)
सोलर पावर सिस्टम की संरचना और कार्य के आधार पर सोलर पावर सिस्टम तीन प्रकार के होते है।
- ऑन ग्रिड सोलर पावर सिस्टम (On Grid Solar Power System):- इस तरह के सोलर सिस्टम में सोलर पैनल द्वारा बनी हुई बिजली इनवर्टर से होते हुए घरों में लगे हुए करण में भेज दी जाती है. बची हुई बिजली ग्रिड के माध्यम से बिजली विभाग को दे दी जाती है.
- ऑफ ग्रिड सोलर पावर सिस्टम (Off Grid Solar Power System):- इस तरह के सोलर सिस्टम में सोलर पैनल द्वारा बनी हुई बिजली चार्जर कंट्रोलर से होते हुए बैटरी में स्टोर हो जाती है. बैटरी में स्टोर बिजली इनवर्टर से होते हुए घरों में लगे उपकरण में भेज दी जाती है.
- हाइब्रिड सोलर पावर सिस्टम (Hybrid Grid Solar Power System):- इस तरह का सोलर सिस्टम, ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम और ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम का मिला-जुला रूप होता है. इसमें सोलर पैनल द्वारा बनी हुई बिजली, चार्जर कंट्रोलर से होते हुए बैटरी नष्ट हो जाती है. और बची हुई बिजली इनवर्टर से होते हुए घरों में लगे हुए उपकरण में पहुंचा दी जाती है. इसके बाद भी बची हुई बिजली नेट मीटर से होते हुए ग्रेड के माध्यम से बिजली विभाग को दे दी जाती है.
घर के लिए सबसे अच्छा सोलर पावर सिस्टम कौन सा होता है (Best Solar Power System For Home)
यदि आप सोलर सिस्टम को ऐसी जगह लगाना चाहते हैं जहाँ, बिजली की सप्लाई उपलब्ध ना हो या कटौती बहुत अधिक होती हो तो वहां के लिए ऑफ ग्रिड सोलर पावर सिस्टम सबसे अच्छा होता है. यदि आप सोलर पावर सिस्टम को ऐसी जगह लगाना चाहते हैं जहां पर बिजली की सप्लाई निरंतर मिलती हो तो, वहाँ के लिए ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम सबसे अच्छा होता है. यदि आप सोलर पैनल से बिजली बना कर उपयोग करने के साथ-साथ बिजली विभाग को भी बिजली देना चाहते हैं तो वहाँ के लिए हाइब्रिड सोलर पावर सिस्टम सबसे अच्छा होता है.
सोलर पैनल को किस दिशा में लगाना चाहिए ? (Best Direction and Angle For Solar Panel Installation)
भारत में सोलर पैनल लगाने के लिए सोलर पैनल की ऊपरी सतह को दक्षिण दिशा में रखना चाहिए, क्योंकि वर्ष भर सूरज की अधिक रोशनी दक्षिण दिशा से ही आती है. गर्मी के दिनों में सूरज की किरने धरती पर सीधे पड़ती हैं इसलिए सोलर पैनल को 15 से 20 डिग्री के एंगल पर लगाना चाहिए, वहीं सर्दियों के दिनों में सूरज की रोशनी तिरछी धरती पर पड़ती है ऐसे समय में सोलर पैनल को 55 से 60 डिग्री के एंगल पर रखना चाहिए.
सोलर पैनल कितने वॉट का होता है (Solar Panel Kitne Watt Ka Hota Hai)
मार्केट में उपलब्ध सोलर पैनल आमतौर पर 250 वॉट से 400 वॉट तक के होते हैं। कुछ कंपनियाँ 400 वॉट से अधिक क्षमता वाले सोलर पैनल भी बनाती हैं। सोलर पैनल की वॉट क्षमता उसमें मौजूद सोलर सेल की संख्या पर निर्भर करती है। एक सोलर पैनल में जितने अधिक सोलर सेल होंगे, उसकी वॉट क्षमता उतनी ही ज्यादा होगी।
घर को चलाने के लिए कितने लोड के सोलर पैनल की आवश्यकता होती है.
अलग-अलग घरों की बिजली की खपत और लोड अलग अलग होता है. इसलिए अलग-अलग घरों के हिसाब से अलग-अलग वॉट के सोलर पैनल की आवश्यकता होती है. इसको एक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते हैं जैसे, यदि आपके घर की दिन के समय बिजली की खपत लगभग 4-5 यूनिट है और आपके घर का लोड लगभग 800 से 1000 किलोवॉट है. तो इस हिसाब से आप अपने घर पर 1 किलोवॉट का सोलर पैनल लगवा सकते हैं. 1 किलोवाट का सोलर पैनल 800 वॉट तक का लोड को आसानी से ले सकता है. आप अपनी आवश्यकतानुसार अपने घर पर सोलर पैनल लगवा सकते हैं. अपने घर की बिजली का लोड कैलकुलेट करने के लिए Load Calculator पर क्लिक कर जान सकते हैं.
सोलर पैनल लगवाने में कितना खर्च आता है (Installation Cost of Solar Panel in India)
सोलर सिस्टम लगवाने का खर्च सोलर सिस्टम की क्षमता, कंपनी और क्वालिटी पर निर्भर करता है. 1 किलोवाट सोलर पैनल की कीमत लगभग ₹65000 से ₹100000 के बीच होती है. आप किस प्रकार का सोलर पैनल लगवाना चाहते हैं उस पर भी निर्भर करता है. यदि आप डबल बैटरी का सोलर सिस्टम लगाते हैं तो उसकी कीमत और भी बढ़ जाती है.
Type of Solar Power System | Cost of Solar Power System |
On Grid Solar System | ₹60000 से ₹75000 |
Off Grid Solar System | ₹65000 से ₹95000 |
Hybrid Solar System | ₹100000 से ₹110000 |
सोलर पैनल की वारंटी कितनी होती है?
सोलर पैनल की कंपनियां सोलर पैनल की लगभग 25 साल की वारंटी देती है. इस वारंटी को दो भागों में बांटा गया है. एक है मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट वारंटी जो लगभग 5 से 10 साल की होती है. यदि इस समय में सोलर पैनल में किसी तरह का कोई मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट होता है तो कंपनियां बदल कर नया सोलर पैनल दे देती हैं. दूसरा है परफार्मेंस वारंटी जो कि 25 सालों तक होती है. यदि इस समय में सोलर पैनल अपनी क्षमता से कम बिजली बनाता है तो भी कंपनियां बदल कर आपको नया सोलर पैनल दे देती हैं. वारंटी में किसी तरह का डैमेज कवर नहीं किया जाता है.
25 साल बाद सोलर पैनल का क्या होता है?
किसी सोलर पैनल की औसत आयु लगभग 25 वर्ष होती है. सोलर पैनल की कंपनियां भी 25 साल की वारंटी देती है. सोलर पैनल शुरूआती 10 साल तक लगभग 90% क्षमता के साथ बिजली बनाता है. अगले 15 सालों तक लगभग 80% क्षमता के साथ बिजली बनाता है. यदि आपने अपने सोलर पैनल का रखरखाव और देखभाल अच्छे से किया है. आपके सोलर पैनल में किसी तरह का कोई डैमेज नहीं है तो, सोलर पैनल 25 साल के बाद भी बिजली बनाता रहेगा लेकिन इसके बिजली बनाने की क्षमता थोड़ी कम हो जाएगी. आप इससे 30 साल बाद भी बिजली बना सकते हैं.
सोलर पैनल पर सब्सिडी कितनी है
रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार घर की छत पर सोलर पैनल लगवाने के लिए सब्सिडी प्रदान करते हैं. रूफटॉप सोलर सब्सिडी योजना की शुरुआत केंद्र सरकार रिन्यूएबल एनर्जी डिपार्टमेंट ने शुरू की है. यदि आप अपने घर की छत पर ग्रिड कनेक्टेड सोलर लगवाते हैं तो, सरकार आपको 40% से 20% की सब्सिडी देती है. 3 किलोवाट तक के सोलर सिस्टम लगवाने पर 40% की सब्सिडी मिलती है. 3 किलोवाट से ज्यादा 10 किलोवाट से कम का सोलर सिस्टम लगवाने पर 20% की सब्सिडी मिलती है. 10 किलोवाट से ज्यादा का सोलर सिस्टम लगवाने पर कोई सब्सिडी नहीं मिलती.
Solar Panel Calculator
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आशा करता हूँ सोलर पैनल से संबन्धित यह पोस्ट “सोलर पैनल की सम्पूर्ण जानकारी” अच्छी और जानकारी युक्त लगी होती। सोलर पैनल की जानकारी के लिए हमारी अन्य पोस्ट को भी ज़रूर पढ़ें। सोलर फनल से संबन्धित यदि आप कोई और भी सवाल है तो आप हमसे कॉमेंट कर पूँछ सकते हैं। हम आप के सवालो के जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। इस वैबसाइट( ब्लॉग) के बारे मे आप के कोई सुझाव हों तो वह भी कॉमेंट कर ज़रूर बताएं। आप के प्रश्न एवं सुझाव का हमे इंतज़ार रेहगा।
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How many panels need in 6 killowat
आज के समय सामान्यतः सोलर पैनल 350 से 400 वॉट तक के आते हैं, जैसा कि आपने पूछा की आपको 6 किलो वाट के सोलर पैनल लगवाने है, इसके अनुसार 6 किलोवाट में 6000 वॉट होते हैं, तो इस हिसाब से आपको 15 से 17 सोलर पैनल लगाने होंगे.
Very nice
Jyada jankari ke liye call karna jaruri h
आप अपनी आवश्यकता अनुसार संबंधित कंपनी को कॉल कर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं