सौर ऊर्जा और सोलर पैनल: इतिहास, आविष्कार और विकास तक का सफर

Invention of Solar Panels

हम में से अक्सर कई लोगों ने सोलर पैनल का उपयोग जरूर किया हुआ. हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि सोलर पैनल का उपयोग आज के समय बिजली बनाने के लिए किया जाता है. जब भी हम को देखते हैं तो हमारी मन में एक सवाल अक्सर पैदा होता है सोलर पैनल की खोज किसने और कब की. सोलर पैनल अविष्कार के बारे में जानने की लालसा हमारे मन में उत्पन्न होती हैं. आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे सोलर पैनल का अविष्कार किसने किया और सोलर पैनल की खोज कब हुई पहली बार सोलर पैनल कब बना ऐसे कई सारे सोलर पैनल से संबंधित रोचक जानकारी आपको मिलने वाली है.

सोलर पैनल का आविष्कार कब हुआ था?

सौर ऊर्जा की खोज कब हुई थी:- सोलर पैनल का आविष्कार किसी एक वैज्ञानिक द्वारा नहीं किया गया है किसी एक समय में सोलर पैनल का संपूर्ण अविष्कार नहीं हुआ है, अलग-अलग समय में सोलर पैनल से संबंधित विभिन्न क्रियाओं, प्रतिक्रियाओं एवं ऐसे तत्वों की खोज की गयी जिससे सोलर पैनल को बनाने में सहायता मिली. 1839 में सूर्य की किरणों से विद्युत आवेश पैदा करने वाली कुछ सामग्रियों का फ्रांसीसी वैज्ञानिक एडमंड बेकरेल ने खोज की थी. हालांकि उस समय यह सोलर पैनल विद्युत उपकरण को चलाने में सक्षम नहीं थे. उस समय उनका उपयोग केवल प्रकाश को मापने के लिए किया जाता था. इसके बाद 1881 में अमेरिकी अविष्कारक ने पहला कमर्शियल सोलर पैनल बनाया था लेकिन उस समय भी यह बहुत शक्तिशाली नहीं थे. 1939 में रसेल ओहल ने पहला  मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन सोलर सेल बनाया था. जिसके लिए 1941 में पेटेंट दायर किया गया. जिसका उपयोग आधुनिक सोलर पैनल में किया जाता है. इस तरह से हम कह सकते हैं कि आधुनिक सोलर पैनल का आविष्कार सन 1939 में रसेल ओहल ने किया था. साथ ही साथ सोलर पैनल और सौर ऊर्जा के आविष्कार का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं जाता अलग-अलग समय में अलग-अलग खोजकर्ताओं द्वारा सोलर पैनल और सौर ऊर्जा का आविष्कार में योगदान दिया है.

सोलर पैनल का आविष्कार किसने किया था?

अमेरिकी वैज्ञानिक रसेल ओहल ने सन 1939 में पहले आधुनिक मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन सोलर पैनल आविष्कार किया था, जिसके लिए 1941 में पेटेंट दायर किया गया था.

सोलर पैनल का आविष्कार क्यों हुआ?

सोलर पैनल का आविष्कार प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. सोलर पैनल के आविष्कार का मुख्य कारण विद्युतीय ऊर्जा के ऐसे साधन को ढूंढना था जो बिजली बनाने के परंपरागत तरीके की निर्भरता को कम कर सके, साथ ही साथ बिजली बनाने के परंपरागत तरीके से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके. जैसा कि हम जानते हैं, धरती पर संसाधन एक निश्चित मात्रा में उपलब्ध है. वर्तमान में बिजली बनाने के लिए कोयल का 80% उपयोग किया जाता है. कोयले से बिजली बनाने के कारण संसाधन का दोहन होने के साथ ही साथ पर्यावरण प्रदूषण का मुख्या कारण है. जबकि सूर्य से आने वाली किरणें धरती पर्याप्त मात्रा में आती हैं, जो एक ऐसा संसाधन है जो असीमित होने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल भी है. 

बिजली की बढ़ती आवश्यकता और बिजली बनाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए, सोलर पैनल के आविष्कार की आवश्यकता महसूस हुई. सरकारों के अनुदान और नीतिगत समर्थन ने इस तकनीकी क्षेत्र को और अधिक प्रोत्साहित किया और इसे अधिक उपयोगी और प्रयोगशील बनाया. 

इसके अलावा, सोलर पैनल का उपयोग अन्य प्राकृतिक ऊर्जा के स्रोत के मुकाबलेअधिक उपयोगी एवं स्थिर है. जिसे बिना किसी नुकसान के निरंतर लंबे समय तक उपयोग किया जा सकता है. सोलर से बनने वाली बिजली कोयले  एवं अन्य जीवाश्म ईंधन से अधिक सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल है. इन्हीं कारणों  से सोलर पैनल के आविष्कार को और अधिक बढ़ावा मिलता है.

सौर ऊर्जा के पीछे की तकनीक और विज्ञानं

सॉरी ऊर्जा के पीछे जो विज्ञान काम करता है उसे, फोटोवोल्टिक प्रभाव कहते हैं. जब कोई धातु प्रकाश के संपर्क में आती है तो उसे धातु में मौजूद इलेक्ट्रॉन प्रकाश की ऊर्जा को अवशोषित कर लेते हैं. अवशोषित इलेक्ट्रॉन गतिमान हो जाते हैं जो धातु के अंदर ही एक ओर से दूसरी ओर गति करने लगते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप प्रकाश ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में बदल जाती है. फोटोवोल्टिक प्रभाव ही आज की वर्तमान सौर ऊर्जा का मुख्य आधार है.

सोलर पैनल का संक्षिप्त इतिहास

जैसा कि हम जानते हैं, सोलर पैनल का आविष्कार किसी एक समय में नहीं हुआ है . अलग-अलग समय में शोधकर्ताओं द्वारा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विभिन्न प्रयास किए गए, जिसके फलस्वरुप वर्तमान के सोलर पैनल का आविष्कार हुआ.यहां पर हम आपको सोलर पैनल एवं सौर ऊर्जा के क्रमिक विकास को संक्षेप में बताने का प्रयास करेंगे.

  • 7वीं शताब्दी ई.पू :- मैग्नीफाइंग ग्लास का उपयोग सूर्य की किरणों को केन्द्रित कर आग जलने का काम किया जाता था. 
  • 3री शताब्दी ई.पू:- ग्रीक और रोमन द्वारा इस काल में धार्मिक अनुष्ठानों के लिए मैग्नीफाइंग ग्लास का उपयोग कर  मशालों  को जलाने का कार्य किया जाता था.
  • 1667:- स्विस वैज्ञानिक हरिस डी सॉसर ने दुनिया का पहला सोलर कलेक्टर का निर्माण किया था.
  • 1830:- सर जॉन हर्शेल द्वारा सौर ऊर्जा का उपयोग खाना पकाने के लिए किया गया. 
  • 1839:- फ्रांसीसी वैज्ञानिक एडमंड बेकरेल ने फोटोवोल्टिक प्रभाव की खोज की
  • 1860:- फ्रांसीसी गणितज्ञ सौर ऊर्जा से चलने वाले भाप के इंजन का प्रस्ताव रखा था जिसे अपने एक साथी के साथ मिल कर बनाया था. 
  • 1883:- चार्ल्स फ्रिट्स ने सेलेनियम वेफर्स से बनी पहली सोलर से के बारे में बताया था.
  • 1891: बाल्टीमोर ने पहले कामर्शियल सोलर वाटर हीटर की ख़ोज की. 
  • 1921:- अल्बर्ट आइंस्टीन को प्रकाश विद्युत प्रभाव के सिद्धांत के लिए नोबल पुरूस्कार दिया गया था.
  • 1939:- अमेरिकी वैज्ञानिक रसेल ओहल ने सन 1939 में पहले आधुनिक मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन सोलर पैनल आविष्कार किया था, जिसके लिए 1941 में पेटेंट दायर किया गया था.
  • 1954:- फोटोवोल्टिक टेक्नोलॉजी का अविष्कार अमेरिका के बेल लैब में हुआ था. डेरिल चैपिन, केल्विन फुलर और गेराल्ड पियर्सन ने सिलिकॉन फोटोवोल्टिक (पीवी) सेल का निर्माण किया था, जिससे पहली बार किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को चलाया गया था.
  • भारत में तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-66) में सोलर के बारे में पहली बार चर्चा की गई.
  • 1977: Central Electronics Limited ने भारत में पहला सोलर पैनल बनाया था. 
  • 1989: Tata Power Solar Systems Limited ने भारत में सोलर पैनल की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की. अब भारत में लगभग 40 सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है.
  • 2009: पंजाब के अमृतसर में  2 MW का भारत का पहला कमर्शियल सोलर पावर प्लांटलगाया गया.
  • 2010: भारत में राष्ट्रीय सोलर मिशन लॉन्च किया गया, जिसका लक्ष्य था कि, 2020 तक 20GW बिजली सोलर पैनल द्वारा बनाई जाए. 
  • 2023:- 31 मार्च 2023 तक भारत में सोलर द्वारा बिजली बनाने की क्षमता 10000 GW को पार कर चुकी है. 
  • इसके बाद से निरंतर सोलर पैनल के विकास में काम किया जाता रहा है. आज के समय में भारत में भी सोलर पैनल द्वारा पावर प्लांट के साथ-साथ घरों में भी सोलर पैनल द्वारा बिजली बनाई जा रही है. 

सोलर पैनल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

सौर ऊर्जा का पहली बार उपयोग बिजली बनाने के लिए कब किया गया था?

सौर ऊर्जा का पहली बार उपयोग बिजली बनाने के लिए सन 1954 में किया गया था.

सोलर टेक्नोलॉजी कितनी पुरानी है?

सोलर टेक्नोलॉजी लगभग 200 साल पुरानी है.

पहला सोलर पैनल कब बनाया गया था?

पहला सोलर पैनल 1939 में अमेरिकी वैज्ञानिक रसेल ओहल द्वारा बनाया गया था.

भारत में पहला सोलर पैनल किसने बनाया था?

Central Electronics Limited ने 1977 में भारत में पहला सोलर पैनल बनाया था. 

सोलर पैनल के अंदर कौन सी धातु होती है?

सोलर पैनल के अंदर सिलिकॉन धातु होती है.

आशा करता हूँ सोलर पैनल से संबन्धित यह पोस्ट “सौर ऊर्जा और सोलर पैनल: इतिहास, आविष्कार और विकास तक का सफर” अच्छी और जानकारी युक्त लगी होगी । सोलर पैनल की जानकारी के लिए हमारी अन्य पोस्ट को भी ज़रूर पढ़ें। सोलर पैनल से संबन्धित यदि आप के पास कोई और भी सवाल है तो, आप हमसे कॉमेंट कर पूँछ सकते हैं। हम आप के सवालो के जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। इस वेबसाइट( ब्लॉग) के बारे मे आप के कोई सुझाव हों तो वह भी कॉमेंट कर ज़रूर बताएं।

धन्यवाद् |

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