हम में से हर कोई सोलर पैनल के नाम और काम से बहुत अच्छी तरह से परिचित है. हमें अच्छी तरह से पता है की, सोलर पैनल क्या होता है? और किस काम में आता है. लेकिन जब बात आती है अपने घर पर सोलर पैनल लगाने की, तब हमें इसके बारे में और भी जानकारी की आवश्यकता पड़ती है. हम जानते हैं कि सोलर पैनल क्या काम करता है, लेकिन हम यह नहीं जानते सोलर पैनल कितने तरह के होते हैं? कौन सा सोलर पैनल सबसे अच्छा होता है. आज आपके इन्हीं सवालों के जवाब हम इस आर्टिकल में देने वाले हैं. यह पोस्ट पढ़ने के बाद आपको यह अच्छे से पता चल पाएगा कि सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं? कौन सा सोलर पैनल सबसे अच्छा होता है? किस तरह का सोलर पैनल किस जगह और किस एटमॉस्फियर के लिए अच्छा होता है? यह सब समझने के लिए आपको सबसे पहले यह जानना होगा की सोलर पैनल कितने तरह के होते हैं? तो चलिए अब हम एक-एक कर जानेंगे सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं. सोलर पैनल कैसे काम करते हैं और इनमें से सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा होता है?
सोलर पैनल तीन प्रकार के होते हैं
सोलर पैनल के प्रकार को समझने के लिए हमें सबसे पहले यह जानना होगा कि सोलर पैनल बनता कैसे है.l? आपको बताना चाहूंगा कि सोलर पैनल बनाने के लिए सबसे ज्यादा सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जाता है. सिलिकॉन धरती पर सबसे ज्यादा मात्रा में बालू में पाया जाता है. शुद्धीकरण की प्रक्रिया के द्वारा बालू से सिलिकॉन को अलग किया जाता है. सिलिकॉन एक ऐसा तत्व है जो सौर ऊर्जा को अवशोषित करने की क्षमता रखता है. शुद्ध सिलिकॉन से क्रिस्टल तैयार किए जाते हैं, जिससे सोलर पैनल बनाए जाते हैं. बनावट के आधार पर सोलर पैनल मुख्यता पांच प्रकार के होते हैं. इन सभी सोलर पैनल के प्रकार को अब हम एक-एक कर जानेंगे.
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल ( Polycrystalline Solar Panel)
पॉलीक्रिस्टलाइन, पॉली और क्रिस्टल शब्दों से मिलकर बना है. पॉली का मतलब होता है एक से अधिक और यहां पर क्रिस्टल का मतलब सिलिकॉन के क्रिस्टल से है. जैसा कि पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल के नाम से ही पता चलता है कि सिलिकॉन के कई सारे क्रिस्टल इस तरह के सोलर पैनल में मौजूद होते हैं. पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल को सिलिकॉन के कई सारे क्रिस्टल को आपस में जोड़कर बनाया जाता है इसलिए इसे पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल कहते हैं. पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल सबसे पुराना बनाया जाने वाला सोलर पैनल हैं. पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की सेल नीले रंग की होती है. इस तरह के सोलर पैनल को बनाने की प्रक्रिया थोड़ा सस्ती होती है, इसलिए पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल दूसरे सोलर पैनल के मुकाबले थोड़ा सस्ते होते हैं. पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल में अधिक क्रिस्टल होने के कारण यह कम सौर्य ऊर्जा को ग्रहण कर पाता है. पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल का एफिशिएंसी रेट्स लगभग 16% -17% तक होता है, इसलिए पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल का उपयोग ऐसी जगह करना चाहिए जहाँ पर धूप अधिक देर तक रहती हो. बर्फीले और अधिक बारिश व बादल वाले इलाकों में पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल का उपयोग करने से बचना चाहिए.

मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल (Monocrystalline Solar Panel)
मोनो शब्द का अर्थ होता है एक. मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल ऐसे सोलर पैनल को कहते हैं, जिन्हें सिलिकॉन के सिंगल क्रिस्टल के द्वारा बनाया जाता है. मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल सिंगल सिलिकॉन क्रिस्टल के बने होने के कारण इस प्रकार के सोलर पैनल में किसी भी प्रकार की अशुद्धियां नहीं होती है, इसलिए मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल में सौर्य ऊर्जा को ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है. मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल का एफिशिएंसी रेट्स लगभग 19% -20% तक होता है. मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल काले रंग का होता है और इसके सोलर सेल कोनों पर गोल कटे होते हैं. मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की कीमत पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से थोड़ा अधिक होती है. मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल को ऐसे जगहों पर भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां पर धूप कम होती है. बारिश के समय में भी यह सोलर पैनल बिजली बनानी में सक्षम होता है.

मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की तुलना और अंतर
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल | पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल |
सिंगल सिलिकॉन क्रिस्टल का बना होता है | मल्टिपल सिलिकॉन क्रिस्टल का बना होता है |
एकदम शुद्ध होता है | थोड़ी अशुद्धिय पाई जाती है |
सौर्य ऊर्जा को ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है | सौर्य ऊर्जा को ग्रहण करने की क्षमता कम होती है |
एफिशिएंसी रेट्स लगभग 19% -20% तक होता है | एफिशिएंसी रेट्स लगभग 16% -17% तक होता है |
रंग में काला | रंग में ब्लू-ईश |
सोलर सेल के कोने गोल कटे होते हैं | सोलर सेल के कोने नुकीले होते हैं |
कवर लेस्स रूफ स्पेस | अधिक कवर रूफ स्पेस |
कम धूप में भी काम करता है | काम करने के लिए अधिक धूप की ज़रूरत होती है |
इनस्टॉल करने के लिए कम जगह की ज़रूरत पड़ती है | इनस्टॉल करने के लिए अधिक जगह की ज़रूरत पड़ती है |
थोड़ा महँगा होता है | थोड़ा सस्ता होता होता है |
थिन -फिल्म सोलर पैनल (Thin-Film Solar Panels)
थिन फिल्म सोलर पैनल (Thin-Film Solar Panels), सोलर पैनल इंडस्ट्री में एक बहुत ही नए तरीके का सोलर पैनल है. जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह एक पतली फिल्म वाला सोलर पैनल. यह सोलर पैनल बहुत ही पतला और लचीला होता है. इसे बिना किसी फ्रेम के बनाया जाता है, ताकि यह आसानी से किसी भी आकार में फिट किया जा सके. थिन फिल्म सोलर पैनल वज़न में भी काफी हल्का होता है. जैसा कि आप सभी जानते हैं की किसी भी सोलर पैनल को बनाने के लिए सिलिकॉन का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन थिन फिल्म सोलर पैनल को बनाने के लिए कैडमियम टेलुराइड (CdTe), अमोर्फोस सिलिकॉन (a-Si), और कॉपर इंडियम गैलियम सेलेनाइड (CIGS) का यूज़ किया जाता है. अमोर्फोस सिलिकॉन (a-Si) नॉन क्रिस्टल सिलिकॉन होते हैं. इस सोलर पैनल की सेल को कंडक्टिव शीट के बीच में रखा जाता है और उसके ऊपर सुरक्षा के लिए कांच की पतली परत चढ़ाई जाती है. इस तरह के सोलर पैनल सिलिकॉन क्रिस्टल सोलर पैनल की तुलना में 350 गुना पतले होते हैं. थिन फिल्म सोलर पैनल को आवश्यकतानुसार अलग-अलग साइज में बनाया जा सकता है.

हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल (Half Cut Solar Panel)
यह सोलर पैनल क्रिस्टल सोलर पैनल का ही अपग्रेड वर्ज़न है. इस तरह के सोलर पैनल के अंदर लगे सेल दो भाग में कटे होते हैं, जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है. इसलिए इसे हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल कहते हैं. सामान्यतः एक सोलर पैनल में 72 साल होते हैं लेकिन हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल में 144 सेल होते हैं. सेल बीच में से कटे होने के कारण इसका रजिस्टेंस बहुत कम हो जाता है, इसलिए इन सोलर पैनल को ऐसी जगह पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है जहां पर धूप की कमी होती है. अगर इस सोलर पैनल के आधे हिस्से पर भी धूप होती है तो भी यह काम करता है.

बाइफेशियल सोलर पैनल (Bifacial Solar Panel)
समान्यतः सोलर पैनल सिर्फ एक साइड यानी की ऊपर से ही बिजली बनाता है। लेकिन बाइफेशियल सोलर पैनल दोनों ही तरफ से बिजली बनाता है। समान्यतः सभी सोलर पैनल में बैक शीट का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन बाइफेसियल सोलर पैनल में बैक शीट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। जिससे पीछे की साइड भी सन लाइट पड़ने से बिजली पैदा होती है। इस तरह के सोलर पैनल को दोनों तरफ से ट्रांसपैरेंट टेम्पर्ड ग्लास से ढाका जाता है। ताकि दोनों तरफ से सोलर पैनल प्रकाश को अवशोषित कर बीजली बना सके। बायफेशियल सोलर पैनल सामान्य सोलर पैनल के मुकाबले 5- 30 % अधिक बिजली का उत्पादन कर सकता है।

अब तक आप सोलर पैनल की बनावट के आधार पर सोलर पैनल के प्रकार को अच्छी तरह से समझ ही चुके होंगे। अब अपनी ज़रूरत के अनुसार सोलर पैनल लगवाने के लिए आसानी से निर्णय ले सकते हैं। यदि आप जहाँ पर भी सोलर पैनल लगवाना चाहते हैं वहाँ पर धूप पर्याप्त मात्रा में रहती तो आप पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल लगवा सकते हैं। यदि धूप कम या थोड़े समय के लिए आती है तो आप वहाँ पर मोनोक्रिस्टलाइन य हाफ कट सोलर पैनल लगवा सकते हैं।
सेलों की संख्या के आधार पर सोलर पैनल के प्रकार
अब हम बात करेंगे सेलों की संख्या के आधार पर सोलर पैनल के प्रकार के बारे मे। जैसा की आप जानते हैं, सोलर पैनल छोटे-छोटे सोलर सेल से मिल कर बना होता है। एक सोलर पैनल में जीतने सेल होते है वह उतने सोलर सेल का सोलर पैनल कहलाता है। सेलों की संख्या के आधार पर सोलर पैनल 3 प्रकार के होते हैं।
- 36 सेल सोलर पैनल
- 60 सेल सोलर पैनल
- 72 सेल सोलर पैनल

सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा होता है ( Which Is The Best Solar Panel)
सोलर पैनल की बनावट और सेलों की संख्या के आधार पर आप सोलर पैनल के प्रकार को बहुत अच्छी तरह से समझ चुके है। अब अब आप सोच रहें हैं की अपने घर के लिए सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा होता है? यदि आप के घर पर ज़्यादा धूप आती है तो आप के लिए सबसे अच्छा पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल हो सकता है। यही धूप कम आती है तो वहाँ के लिए मोनोक्रिस्टलाइन य हाफ कट सोलर पैनल सबसे अच्छा हो सकता है। यदि आप को सोलरपैनल ऐसी जगह लगाना है जहाँ पर धूप सोलर पैनल के दोनों साइड पड़ सके तो वहाँ के लिए बाइफेशियल सोलर पैनल सबसे अच्छा सोलर पैनल हो सकता है।
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सोलर पैनल से संबन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न
सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं?
बनावट के आधार पर सोलर पैनल मुख्यता पांच प्रकार के होते हैं.
1- पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल
2- मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल
3- थिन -फिल्म सोलर पैनल
4- हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल
5- बाइफेशियल सोलर पैनल
भारत में सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं?
भारत में सोलर पैनल मुख्यता पांच प्रकार के होते हैं:- पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल, मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल, थिन -फिल्म सोलर पैनल, हाफ कट मोनो परक सोलर पैनल और बाइफेशियल सोलर पैनल।
सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा होता है?
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल सबसे अच्छा सोलर पैनल होता है।
सबसे सस्ता सोलर कौन सा है ?
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल सबसे सस्ता सोलर पैनल होता है।
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल कितने समय तक चलते हैं?
पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल औसत 20-35 वर्ष तक चल सकते हैं।
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल कितने समय तक चलता है?
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की उम्र सबसे ज़्यादा लगभग 30 वर्ष होती है।
सोलर पैनल में हाफ कट का क्या मतलब है?
सोलर पैनल में हाफ कट का मतलब है की इस तरह के सोलर पैनल के सेल बीच से दो भाग में कटे होते हैं।
आशा करता हूँ सोलर पैनल से संबन्धित यह पोस्ट “सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं | सबसे अच्छा सोलर पैनल कौन सा होता है”आप को अच्छी और जानकारी युक्त लगी होगी। सोलर पैनल की जानकारी के लिए हमारी अन्य पोस्ट को भी ज़रूर पढ़ें। सोलर पैनल से संबन्धित यदि आप के पास कोई और भी सवाल है तो आप हमसे कॉमेंट कर पूँछ सकते हैं। हम आप के सवालो के जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे। इस ब्लॉग के बारे मे आप के कोई सुझाव हों तो वह भी कॉमेंट कर ज़रूर बताएं। आप के प्रश्न एवं सुझाव का हमे इंतज़ार रेहगा। धन्यवाद।
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